दो बरस हुए बड़ा
जल्द आने को कह कर गया था
छोटा भी हवाई जहाज़ में बेठ कर
कुछ रोज हुए चला गया
वो साल बीते आने की कह गया है.
मुझे मालूम है बेटो तुम
प्रवासी परिंदे नहीं जो
अपनी ज़रुरतो के चलते
लोट आते है ठण्ड की रूत में.
तुम्हरे सपने कल तक
बर्फ ढके पर्बतो से कही आगे
सफलता के गीत की मदहोशी में डूबे
परी सी गोरी मेम के जादू में
केद हो जाने हैं.
यूँ ही होते हैं कीमती हारों में नगीने गुम
यूँ ही फासले संबंधों को खा जाते हैं.
यूँ ही मेरी आंखों में
इन्तेज़ार के आंसू सजे रहने देना
तुम्हारे पाँव मेरे जूते से बड़े हो गए हैं
तुम्हे सडक पार करने के लिए अब