साँपों का सीढ़ी खेल

सीढ़ी यदि साथ
भाषण की हो
राशन की हो
कालेधन की हो,
सीढ़ी यदि साथ
धर्मजाति की हो
खापपंचायति की हो
स्वगोति की हो,
सीढ़ी यदि साथ
झूठे वादों की हो
मिथ्या संवादों की हो
सियाह इरादों की हो,
सीढ़ी यदि साथ
बाहुबल की हो
मदिरा बोतल की हो
साडी कम्बल की हो,
दूसरों की पूँछ पकड़ कर
पराये कंधो पर चड कर
सबसे आगे बड कर
सफलता की मंजिल पा लोगे,
नाव चाहे सबकी डूबे
तुम साहिल पा लोगे.

दुनियादार होने तक

खरीदओफरोख्त के गुनाहगार हो गए
बिकाऊ दोर में हम भी बाजार हो गये

जलते घरों का भी पानी चुरा लाते है
शहर वाले सच में दुनियादार हो गये

चढे दिन की बड़ी खबर बने थे लोग
शाम ढले तक बासी अखबार हो गए

गुनाहे इश्क के कसूरवार लेला मजनू
आज भी चोपाल पर संगसार हो गए

कल तक आपको बहोत प्यारे थे हम
ऐसा क्या हुआ आज बेएतबार हो गए

बेरोजगारी तूने बहोत आराम है दिया
अपने तो सातो दिन रविवार हो गए

ज़मीर बेच कर इन दिनों मज़े में हैं
आलम भाई वाकई दुनियादार हो गए

खरीदओफरोख्त- क्रय-विक्रय, संगसार-पथराव
ज़मीर-अंतरात्मा