अर्थहीन सफर …

ख़ुदा की तलाश में सारी दुनिया है

क्या कोई ख़ुद को भी ढूँढ रहा है

यूँ  इस जहान में कोन किस का है

हाँ है, वो कि जिसका नाम ख़ुदा है

माना तूने अपनी ज़िद हासिल की

मगर किस कीमत पे मिली पता है

मुझको तो खुद पर भी यकीन नहीं

कैसे कहुँ के दुनिया पर भरोसा है

रिश्तों के सच को समझे तो जाना

इस जहान में हर शख्स अकेला है

उंगलियां ज़ख़्मी हुई, होनी ही थीं

काँटों ने दोस्ती का तोहफा दिया है

दिल का हाल मुखोटे क्या समझेगे

उदास चेहरा हालात का आईना है

बता तो सही तेरा चेहरा भी है कोई

खूबसूरत है माना जो तेरा मुखोटा है

सर झुकाने के सिवा कोई चारा ही नहीं

मसलेहतो का मजबूरियों पर पहरा है

रिश्तों का भरम भी खुल गया आलम

मुझ को बड़ा वहम था यह घर मेरा है

 

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